शिवानी दुर्गा - अघोर तांत्रिक.
अकाल्ट साइन्स (तंत्र विद्या )में शिकागो यूनिवर्सिटी से पी एच डी शिवानी दुर्गा ने भारत के नागनाथ योगेश्वर गुरू से अघोर तंत्र में दीक्षा ली थी. योगेश्वर गुरू के साथ शिवानी ने शव साधना की थी .वे जहां भी जाती हैं अपने साथ एक नर मुंड और तंत्र साधना के अन्य सामान साथ लिए चलती हैं. शिवानी दुर्गा का जलती चिता के पास घंटो बैठ साधना करना उन्हें अन्य तांत्रिकों से अलग पहचान देती है . साधना से पहले वे जलती चिता के एरिया को तलवार से रेखा खींच सेक्योर कर लेती हैं.
शिवानी दुर्गा ने अघोर साइकिक नामक एक नया तंत्र विकसित किया है. अब वे भारतीय और पश्चिमी तंत्र को मिलाकर एक नया तंत्र विकसित कर रहीं हैं. उनके भक्त और अनुयाई भारत तथा कई अन्य देशों में है. अघोर तंत्र में शिवानी दुर्गा की रुचि अपनी दादी की वजह से हुई. उनकी दादी श्मसान में अक्सर उन्हें साथ ले जाती थीं. दादी का कहना था कि हर आदमी का यही हश्र होना है. अन्तिम शरणस्थली यहीं हैं.
उज्जैन की रहने वाली शिवानी दुर्गा सर्वेश्वरी शक्ति इन्टरनेशनल आखाड़ा की संस्थापिका और महामंडलेश्वर हैं .उनका कहना है कि शव साधना के दौरान तांत्रिक कुछ भी नहीं खा सकता .शव खाने वाली बात कपोल कल्पित है.
उज्जैन के सिंहस्थ पर उन्हें आतंकवादी हमले की आशंका है, जिसके लिए वे सरकार को अवगत करा चुकीं हैं.साथ हीं शिवानी दुर्गा शनि शिंगरापुर में महिलाओं के प्रवेश की हिमायती हैं . वे आधी आबादी को उनके अधिकार से वंचित करने के सख्त खिलाफ हैं .
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