दुनियां जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है.
मशहूर शायर निदा फाजली के बचपन का नाम मुक्तदा हसन था. बाद में वे निदा फाजली के नाम से शायरी करने लगे. कल दिनांक 8 फरवरी 2016 को उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गयी. वे 78 वर्ष के थे. वे बुढ़ापे की कई बीमारियों से बहुत दिनों से जूझ रहे थे.
निदा फाजली के पूर्वज कश्मीर के रहने वाले थे ,जहाँ से वे दिल्ली आकर बस गये थे. निदा का जन्म 12 अक्टूबर सन् 1938 को दिल्ली में हुआ था. उनकी शिक्षा ग्वालियर में हुई. शिक्षा के दौरान उनका अफेयर एक लड़की से हुआ. वह क्लास में अगली बेंच पर बैठती थी. एक दिन विद्यालय के नोटिश बोर्ड पर एक सूचना पढ़कर उनका दिल चीत्कार कर उठा. नोटिश बोर्ड पर एक सूचना थी -" Miss Tondon met with an accident and has expired. " अब निदा गुमशुम हो गए .एक दिन वे किसी मन्दिर के सामने से गुजर रहे थे. सूरदास का प्रसिद्ध भजन चल रहा था - "मधुबन तुम कत रहत हरे. " फिर क्या था. निदा को अपनी मंजिल मिल गई. निदा शायर हो गए . हमारे आदि कवि वाल्मिकी भी दुखी हो कर ही कवि बने थे. सुमित्रा नन्दन पंत ने भी इस बात की तस्दीक की है -
वियोगी होगा पहला कवि,
आह से उपजे होंगे गान.
उमड़ कर आखों से चुपचाप,
बही होगी कविता अनजान.
निदा फाजली के निदा का अर्थ आवाज और फाजली कश्मीर के उस जगह का नाम जहां से निदा के पूर्वज दिल्ली आए थे. निदा फाजली बहुत हीं उम्दा और अजीम शायर हुए. उन्होंने फिल्मों के लिए ढेर सारे गीत लिखे. उनकी कई गजलों और दोहों को जगजीत सिंह ने अपनी आवाज बख्सी है. उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने खुसरो पुरूष्कार, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश सरकारों ने उर्दू / हिन्दी अकादमी पुरूष्कारों से नवाजा है.
निदा फाजली इस देश को बेइन्तहां प्यार करते थे. देश के बटवारे के समय उनके माता पिता पाकिस्तान चले गए थे ,लेकिन निदा फाजली से इस देश को छोड़ना गवारा न हुआ. आज जब वे कल 11. 30 बजे इस आसार संसार से विदा ले चुके हैं तो मैं उनकी लिखी हुई शायरी के सार्वभौमिक सत्यता की एक बानगी प्रस्तुत कर रहा हूं, जो आज भी सत्य है और कल भी सत्य रहेगा. . .
दुनियां जिसे कहते हैं ,जादू का खिलौना है.
मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है.
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