अयोध्या की बेटी कोरिया गणराज्य की महारानी बनी.

सुरीरत्ना अयोध्या से नाव के माध्यम से कोरिया बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए गईं थीं. वहां राजकुमार सुरो के साथ उनका प्यार परवान चढा़ और 16 साल की उम्र में उनकी शादी राजकुमार सुरो से हो गई .यूं तो कोरिया के इतिहास में कई महारानियों का जिक्र है, पर सबसे महत्वपूर्ण और उदारमना महारानी का जिक्र होता है तो वह है - महारानी सुरीरत्ना . महारानी का जिक्र कोरिया के पौराणिक कथाओं में किया गया है, जो कि मंदारिन भाषा में है. कोरियाई लोग महारानी सुरीरत्ना को राम का वंशज मानती हैं . किमहये शहर में कोरिया वासियों ने महारानी सुरीरत्ना की एक आदमकद मूर्ति लगा रखी है. महाराज सुरो और महारानी सुरीरत्ना के वंश को कारक वंश नाम दिया गया, जिसके नाम पर इस देश का नाम कोरिया रखा गया. आज इस वंश के तकरीबन 60 लाख लोग हैं, जिनमें कई नामचीन हस्तियां हैं. पूर्व राष्ट्रपति किमदेई जुंगऔर पूर्व प्रधान मंत्री दियोजिमोंग इसी वंश के हैं.
कोरिया वासी हर साल फरवरी मार्च में अयोध्या आ महारानी सुरीरत्ना को श्रद्धांजश्रलि अर्पित कर जाते  हैं .उन लोगों ने सरयू नदी के किनारे बना एक पार्क महारानी को  समर्पित कर ऱखा है . वह नाव,जिससे सुरीरत्ना कोरिया गयीं, आज भी सहेज कर रखी गई है.पत्थर जो नाव पर संतुलन के लिए भारत से राजकुमारी ले गईं थी, वह भी वहां सुरक्षित है ,परन्तु भारतीय इतिहास महारानी सुरीरत्ना के बारे में खामोश है. केवल उत्तर प्रदेश के ब्रोचर में थोड़ा बहुत उनका जिक्र किया गया है. पिता ने आंख से दूर किया तो देश ने दिल से उतार दिया .
वक्त का क्या है, गुजरता है ,गुजर जाएगा.
आंख से दूर न हो, दिल से उतर जाएगा  .
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