रामेश्वर नाथ काओ - एक शांत चित्त शख्सियत .
पूर्व रॉ प्रमुख रामेश्वर नाथ काओ का जन्म 10 मई सन् 1918 को बनारस में हुआ था . उनका परिवार कश्मीर से विस्थापित हो बनारस आया था . श्री काओ की शिक्षा , दीक्षा बनारस , इलाहाबाद व लखनऊ में हुई . सन् 1940 में उनका चयन IPS के लिए हुआ . उनकी पोस्टिंग पंडित जवाहर लाल नेहरू की सुरक्षा प्रमुख के तौर पर की गई थी और उसके बाद से वे अपनी कार्य क्षमता के बल पर दिल्ली के हीं होके रह गए .
सन् 1962 की लड़ाई में IB पर जरूरी सूचनाएं मुहैय्या न कराने का आरोप लगा . पंडित नेहरू ने एक अलग एजेंसी बनाने पर जोर दिया जो मात्र अंतराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़े सूचनाओं को हीं मुहैय्या करवाये और इसके अनुपालनार्थ सितम्बर1968 में रॉ (Research & anylysis wing -R & AW ) की संरचना की गई .इसके प्रमुख चुने गये - रामेश्वर नाथ काओ .
श्री रामेश्वर नाथ काओ ने रॉ को एक ऐसी बुलन्दी प्रदान की जिससे यह एजेंसी विश्व प्रसिद्ध गुप्तचर एजेंसी CIA , KGB के समकक्ष जा खड़ी हुई . इस एजेंसी का पाकिस्तान से बांगला देश को अलग कराने में बहुत बड़ा हाथ है . श्री काओ एक साइलेंट वर्कर थे . उनको इंटरव्यू देने व फ़ोटो खिंचवाने का कोई शौक नहीं था . अपने 26 सालों के रॉ के कार्य काल के दौरान उन्होंने मात्र दो बार फ़ोटो खिंचवाए थे और इंटरव्यू तो एक बार भी नहीं . लोग उन्हें प्यार से रामजी कहा करते थे .
सन् 1996 में दिल्ली में बांगला देश के आज़ादी का सिल्वर जुबली मनाया जा रहा था . बांगला देश से आये एक अतिथि दूसरी लाइन में बैठे श्री काओ के पास पहुँचे . उन्होंने श्री काओ से कहा ,
" आपकी जगह यहाँ नहीं है . बांगला देश को आज़ाद कराने में आपका अहम् योगदान रहा है . आपको तो मंच पर होना चाहिए . "
रामेश्वर नाथ काओ ने शालीनता से जवाब दिया ,
" मैं यहीं ठीक हूँ . रही बात बांगला देश को आज़ाद करने की तो उसमें पूरी टीम ने काम किया था ."
CIA को भी रॉ की अहमियत पता थी . एक बार CIA प्रमुख श्री रामेश्वर नाथ काओ से मिले और कहा -
" रामजी हम आपके क्षमता के कायल हैं . अगर हम आपको मना भी करेंगे तो आप मानेंगे नहीं . फिर भी आपसे अनुरोध है कि हमारे दिए साजो सामान का उपयोग पाकिस्तान के लिए न करें .हमारी विदेश नीति प्रभावित हो रही है . "
रिटायरमेंट के बाद श्री काओ ने कभी कोई इंटरव्यू नहीं दिया और न हीं कोई किताब लिखी . गुमनाम थे और गुमनामी के दौर में हीं सन् 2002 में उनकी मौत हो गई . लेकिन जो काम वो कर गए वे आज भी मुखर हैं , कल भी रहेंगें .
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