टैगोर और ओंकैंपो की प्रेम कथा

 1924 में टैगोर पेरु की यात्रा पर थे । पेरु में उनकी तवियत खराब हो गयी । उन्हें दो ढाई महीने वहीं रुकना पड़ा । विक्टोरिया ओंकैंपो अर्जेंटीना की नामचीन नारीवादी लेखिका थीं । टैगोर का उनसे मिलना महज एक संयोग था । वे टैगोर की प्रशंसिका थीं । जब उन्हें पता चला कि टैगोर पेरु में ठहरे हुए हैं तो वे उनसे मिलने पहुँची। उन्होंने टैगोर की बड़े मनयोग से सेवा सुश्रुषा की । टैगोर को भला चंगा कर दिया । उस समय टैगोर की उम्र 63 और विक्टोरिया ओंकैंपो की उम्र 34 साल थी ।

ओंकैंपो का अपने पति से 1922 में ब्रेकप हो गया था । वे बिल्कुल हीं टूट गयीं थीं । उन्हीं दिनों उन्हें टैगोर की " गीतांजलि " का अनुवाद फ्रेंच भाषा में पढ़ने को मिला । इस काव्य संग्रह से उन्हें बहुत संबल मिला था । दरअसल उनका पति से 1912 से हीं अनबन चल रही थी , लेकिन घर वालों के दबाव में वे इस रिश्ते को किसी तरह से निभा रहीं थीं । पति और पत्नी एक छत के नीचे बेशक रह रहे थे , पर उनके सोने के कमरे अलग अलग थे ।

टैगोर को चित्र बनाने का भी शौक था । विक्टोरिया ओंकैंपो ने उन्हें चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया था । टैगोर चित्र बनाने लगे । उनकी पहली चित्र प्रदर्शनी पेरिस शहर में हुई थी । यह प्रदर्शनी 1930 में विक्टोरिया ओंकैंपो के सौजन्य से लगाई गयी थी । यहीं पर दो महाद्वीपों के दो नामचीन हस्तियाँ दोबारा मिलीं । उसके बाद से टैगोर की बहुत सी चित्र प्रदर्शनी लगाई गयी , पर पहली चित्र प्रदर्शनी बहुत कामयाब रही थी ।

टैगोर 1941 तक जिंदा रहे थे । 1941 तक उनके बीच खतो खतूत चलता रहा था । ये खत अर्जेंटीना की एक पत्रिका में धारावाहिक के तौर पर छपे भी थे । दोनों का यह प्रेम यादगार था । नोबल पुरस्कार विजेता टैगोर ने विक्टोरिया ओंकैंपो पर दर्जनों कविताएँ लिखीं हैं । इन कविताओं में एक नाम " विजया " कई बार आया है ।  यही विजया विक्टोरिया ओंकैंपो हैं । एक कविता में टैगोर लिखते हैं -

आमि चीनी गो चीनी तोमाय                                                      ओ गो विदेशिनी                                                         तुमी थाको सिंधु पारे                                                              ओ गो विदेशिनी                                                                

भुवन घुमिलो शेषे                                                               ऐसेछिलाम तोमार देशे                                                       आमि तोमार द्वारे                                                                    ओ गो विदेशिनी                                                              

( ऐ विदेशिनी , मैं तुम्हें चीन्ह ( पहचान ) रहा हूँ । तुम सिंधु नदी के पार रहती हो ।

 ऐ विदेशिनी पूरा संसार घूमने के बाद मैं तुम्हारे द्वार आया था अतिथि बनकर  )

बाद में इस गीत को सत्यजीत राय ने अपनी फिल्म चारुलता में लिया था ।

विक्टोरिया ओंकैंपो को टैगोर ने कई बार भारत बुलाया था , पर वे नहीं आ पाईं थीं । इस प्रेम कथा ने दोनों देशों के रिश्ते बहुत प्रगाढ़ किए थे । विक्टोरिया ओंकैंपो की सेक्रेटरी मारिया रेनुकुरा ने इस दिशा में आगे भी काम किया । इसलिए भारत सरकार ने मारिया रेनुकुरा को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था ।

टैगोर और विक्टोरिया ओंकैंपो की इस प्रेम कथा पर 2018 में एक फिल्म बनी थी । फिल्म का नाम था - Thinkig of him . यह फिल्म अंग्रेजी , स्पेनिश , फ्रेंच व बांग्ला में थी । टैगोर का किरदार विक्टर बनर्जी और विक्टोरिया ओंकैंपो का किरदार अर्जेंटीना की किसी अभिनेत्री ने निभाया था । फिल्म अच्छी बनी थी । साफ सुथरी बनी थी ।    

1979 में विक्टोरिया ओंकैंपो की भी मृत्यु हो गयी थी ।                               

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