फतेहपुर बिंदकी का बावन इमली शहीद स्मारक.
बावन इमली शहीद स्मारक बिंदकी से पश्चिम की तरफ 3 किलोमीटर की दूरी पर है. जोधसिंह अटैया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. ब्रिटिश सरकार के समय में सरकारी खजाना लूटने और कार्यालय में आग लगाने के वे आरोपी थे. एक थानेदार की हत्या के भी वे दोषी थे. दरियाव सिंह और शिवदयाल सिंह के साथ मिलकर जोधसिंह अटैया गुरिल्ला युद्ध के जरिये व्रिटिश सरकार के नाक में दम किए हुए थे.
जोधसिंह अटैया अपने 51 साथियों के साथ रात के अंधेरे में आ रहे थे. कर्नल क्रिस्टाइन ने मुखबिर से सूचना पर उन्हें अचानक दबोच लिया. एक बटालियन से अपने को घिरा पाकर जोधसिंह अटैया और उनके साथियों को अपने हथियार निकालने का मौका तक नहीं मिला.
मुगल रोड पर खजुए के निकट एक इमली के पेड़ पर दिनांक 28 अप्रैल सन् 1858 को सभी 52 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी दे दी बरबरता की परकाष्ठा यह हुई कि शव को उतारा नहीं गया और वे लगभग 35 दिन तक उसी पर झुलते रहे. अंत में महाराज सिंह 4 जून 1858 को रात को सेना लेकर आए. इन शवों को उतार शिवराजपुर में उन शवों की अन्त्येष्टि की गई.
आज भी वह इमली का पेड़ खड़ा है. तब से इस पेड़ पर किसी साल इमली नहीं लगी. शायद आज भी यह पेड़ उस सदमे से नहीं उबरा है.
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